या धनागमकानी वर-पितयां ।
सहज लाभे श्वानता मनुजी वसना ॥
सहज लाभे श्वानता मनुजी वसना ॥
सतत बघती धना ।
न सुतसुखलाभ मना ।
वाटते मितभाषीता नराधम मानिता ॥
| गीत | – | अनंत दामले |
| नाटक | – | हाच मुलाचा बाप |
| गीत प्रकार | – | नमन नटवरा |
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