विश्वनाट्य सूत्रधार तूच श्यामसुंदरा ।
चातुरी तुझी अगाध कमलनयन श्रीधरा ॥
चातुरी तुझी अगाध कमलनयन श्रीधरा ॥
सुई-दोरा नसुनी करी, रात्रीच्या घन तिमिरी ।
कशिदा तू काढतोस गगनपटी साजिरा ॥
मधुबिंदू मधुकरांस, मेघबिंदू चातकास ।
ज्यास-त्यास इष्ट तेच पुरविसी रमावरा ॥
कुंचला न तव करांत, तरीही तूच रंगनाथ ।
अमिट रंग अर्पितोस जगत रंगमंदिरा ॥
| गीत | – | जयवंत कुलकर्णी, पं. राम मराठे, रामदास कामत |
| नाटक | – | शाब्बास बिरबल शाब्बास |
| राग | – | शंकरा |
| गीत प्रकार | – | नमन नटवरा |
| टीप – • नांदी. |
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