ये मौसम है रंगीन रे, रंगीन शाम
सनम् ने दिया जो मुहोब्बत से जाम
सनम् ने दिया जो मुहोब्बत से जाम
जादूभरी लुत्फे मय् क्या कहूँ?
रसिली नज़र का असर क्या कहूँ?
हमें आसमाँ से है आया पयाम
खुदा मेहरबाँ हैं, न सागर को थाम
ओ मीनाकुमारी ! तुझे है कसम
पिला के भुला दे ये दुनिया के गम
बहुत प्यास है, और जवानी है कम
जुबाँ पे है दिलबर तेराहि नाम
गीत | – | मधुवंती दांडेकर ∙ सुमन माटे |
नाटक | – | मदनाची मंजिरी |
गीत प्रकार | – | नमन नटवरा |
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