विराट ज्ञानी हा कोंदटला सुमनीं ॥
सुमन रेणु चराचरभुवनीं, परि तें कृष्ण जाण;
कणकण असे महाजन, कारण मागें उभा धनी ॥
| गीत | – | पं. कुमार गंधर्व ∙ बालगंधर्व |
| नाटक | – | संगीत द्रौपदी |
| राग | – | पहाडी |
| ताल | – | खेमटा |
| चाल | – | करोना कोई |
| गीत प्रकार | – | नमन नटवरा |
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