आज अचानक गाठ पडे
भलत्या वेळी भलत्या मेळी
असता मन भलतीचकडे
नयन वळविता सहज कुठेतरी
एकाएकी तूच पुढे
दचकुनि जागत जीव नीजेतच
क्षणभर अंतरपट उघडे
गूढ खूण तव कळून नाकळून
भांबावुन मागे मुरडे
निसटुनि जाई संधीचा क्षण
सदा असा संकोच नडे
गीत | – | कवी अनिल |
संगीत | – | पं. कुमार गंधर्व |
स्वर | – | पं. कुमार गंधर्व |
राग | – | भीमपलास |
गीत प्रकार | – | भावगीत |
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