वितरि प्रखर तेजोबल | Vitari Prakhar Tejobal

वितरि प्रखर तेजोबल । करि जन समरनिरत ।
हरुनि दयाल मोहजाल ॥

करूनि दया । ने विलया । हा स्वदेश-नाश-काल ॥


गीतमास्टर दीनानाथ
नाटकसंगीत रणदुंदुभि
रागतिलककामोद
तालएकताल
चालपरमपुरुषनारायण
गीत प्रकारनमन नटवरा

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